Not known Facts About sidh kunjika



देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्

न सूक्तं नापि ध्यानम् च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ २ ॥

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः

ओं ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥

श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)

श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः

It is best to make sure that you don’t recite it with any ill feelings or with any negative intentions. 

कभी उड़ान नहीं भर पाएगी जेट एयरवेज, सुप्रीम कोर्ट ने एयरलाइन के ऐसेट्स बेचने का दिया आदेश

देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि

हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं more info जं जं जंभनादिनी ।

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